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बलात्कार और राजनीति

मेरे मन के बुलबुले
मेरे मन के बुलबुले
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शीलू के साथ हुए कथित अनाचार में राजनितिक दलों द्वारा दिखाई गयी संवेदनाशीलता काबिले तारीफ है. जिस प्रकार मदद के लिए पार्टिया हाथ खोल
रही है उससे आशा की नयी किरण जगती है मन में. काश की सभी राजनैतिक दल बलात्कार की शिकार सभी महिलाओ की इसी प्रकार धन और साधन
से मदद कर रहे होते तो क्यों बांदा कांड के बाद के मामलो में पुलिस प्राथमिक लिखने में टाल मटोल का रवैया अपनाती तथा देश की हर शीलू को
न्याय मिलता. किन्तु ऐसा लगता है की बलात्कार जैसे जघन्य कृत्य पर भी राजनैतिक दल अपनी रोटिय सेक रहे है. चूकी अपराधी सत्ताधारी दल का
विधायक है तो शीलू के लिए रुपये सुरक्षा और आवास की व्यवस्था होती है पर कानपूर के दिव्या कांड में दल तथा मीडिया उस प्रकार की तत्परता
दिखने में असमर्थ है . कारण कुछ भी हो किन्तु मेरा सभी से यही अनुरोध है की जिस प्रकार की मनः स्थिति शीलू के मामले में दिखी है कृपा करके
उसको व्यापक दर्जे तक ले जाइये. कोशिश अपराध रोकने की हो, पीड़ित व्यक्ति की मदद की हो पर यदि इस सब से राजनीती की बू आने लगेगी तो
ये सब सिर्फ एक भद्दा मजाक बन कर रह जायेगा जिसे आने वाली नस्ले संवेदनहीनता के राजनैतिक तमाशे की तरह याद करेंगी

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