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जिसकी लाठी भैस भी उसी की……..

मेरे मन के बुलबुले
मेरे मन के बुलबुले
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आप कितने भी सही हो; न्याय संगत हो, अब इस बात का कोई असर नहीं पड़ता. बात सिर्फ इतनी सी है की सत्ता में कौन बैठा है और पुलिस अधिकारियो के ट्रान्सफर कौन करा सकता है…ये बात सभी पर लागू होती है…..वो चाहे मायावती जी हो या मनमोहन जी या फिर उमर अब्दुल्ला जी. कानून कहता है की हर देशवासी को झंडारोहण का अधिकार प्राप्त है पर हमारी कश्मीर की सरकार और देश की कांग्रेस सरकार को ऐसा नहीं लगता. अब नहीं लगता तो नहीं लगता……..आप का इसमें क्या जाता है?………भाई आप तो बस सामान्य नागरिक ही हो ना…..तो आप कौन होते हो सही गलत का फैसला करने वाले? सही वो है जिसको सरकार सही बोले और गलत वो जिसे वो कहे की गलत है………आज लाल चौक में तिरंगा फहराना गलत है क्यों की उससे लोगो की भावनाओ को ठेस लगती है कल यही बात वो लाल किले के लिए कहेंगे तो भी देश की जनता मान लेगी….मानेगी नहीं तो जाएगी कहा?……आखिर प्रशासन जो है उनके पास….बस कर लेंग गिरफ्तार……….और निकल जाएगी आन्दोलन की हवा. और यही होता आया भी है…..JPC नहीं बनेगी संसद चले या ना चले…..और देश मूक दर्शक बना रहा, कलमाड़ी जी और राजा साब पैसे बनाते रहे और देश शांत…..तो अब देश वासियों के प्रथम अधिकार पर ही सवाल खड़ा कर दिया है देखते है की अब क्या कर लोगे? चलिए हमारी तो फिर भी ठीक है तरस तो उन बेचारे पुलिस वालो पर आता है जो की मन से इस के विरोध में है पर फिर भी निम्मित बन रहे है ऐसे देशद्रोह के. देश अभी भी किसी के ” का चुप साधि रहा बलवाना ” कहने के इंतज़ार में है और सरकार अपनी मनमानी करती जा रही है शायद देश को फिर किसी श्यामा प्रसाद के बलिदान की दरकार है……..तो चलिए अगर हम सरकार के खिलाफ नहीं खड़े हो सके तो एक टैलेंट हंट ही शुरू करते है नए भगत सिंह नए चंद्रशेखर और नए श्यामा प्रसाद के लिए क्या पता करोडो की भीड़ में शायद कोई मिल ही जाये

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