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हाँ जी साब तो मेरा कहना ये है की अगर सच में सरकार पर नकेल कसनी है तो हम उनकी पैसे की आवग कम कर सकते है…..नहीं समझे? समझाते है…..२०११-२०१२ के बजट के हिसाब से सरकार की आय का ११ प्रतिशत आय कर से आता है…उतना ही केंद्रीय उत्पाद शुल्क से….राजस्व कर से ८ और सेवा तथा अन्य करो से ६ प्रतिशत. निगम कर २४ और सीमा शुल्क १० प्रतिशत जिनकी हम बात नहीं करेंगे. तो कुल हुआ ३६ प्रतिशत जो की सीधे हमसे जुड़ा हुआ है. अब अगर खर्चे की बात करें तो केंद्रीय तथा अन्य आयोजनों में ३३ और रक्षा में ११ प्रतिशत. अब अगर राजीव गाँधी जी ने सही कहा था तो इस ३३ का १० प्रतिशत ही जनता को मिल पता है बाकि नेता और अधिकारी खा जाते है………तो कुल बजट का ३० प्रतिशत या की आपके द्वारा भरा गया सारा पैसा ये लोग ले जाते हैं और वो भी हक से…….उसके बाद भी घूस मांगते हैं तो साब हम क्यों दे आपको टैक्स अगर आप उसका इतना गलत इस्तमाल करते है? या फिर आप घूस की पेमेंट स्लिप दिया करो जिसको टैक्स पेमेंट के समय लगा कर छूट मांगी जा सके……ये दोहरी मार किस लिए? खैर मुद्दे की बात ये है की रक्षा के लिए आप कर ले सकते हो पर आपके हवाई दौरों ५ सितारा होटलों की पार्टियोंऔर संसद में इतने सस्ते खाने के लिए हम पैसा नहीं देने वाले…..अपनी मेहनत की कमाई की ऐसी बर्बादी हमसे नहीं देखी जाती…….हम अपना पैसा जी जान लगा कर कमाते हैं तो आप भी अपने काम से अपनी सक्षमता का प्रमाण दे और सरकार के लिए कर अर्जित करें. हम लोग इतने टैक्स इसलिए देते है ताकि हमारा जीवन स्तर अच्छा हो……..ये एक तरह से सरकार को उसके कामो का वेतन है…..पर अगर आप अपना काम लापरवाही से कर रहे हैं तो आपका वेतन तो काटना ही चाहिये………तो साब यदि आप सरकार की परियोजनाओ से सहमत नहीं है तो अपने टैक्स में उतने प्रतिशत की कटोती कर के एक पत्र के साथ सरकार को भेजें……….विश्वास मानिये कुछ तो जरूर होगा…….
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