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जेल जाने से पहले, जेल जाने के बाद

मेरे मन के बुलबुले
मेरे मन के बुलबुले
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प्रिय ब्लागर साथियों……यदि आप निकट भविष्य में अपना कोई पुराना हिसाब चुकाना कहते हैं या कोई ऐसा काम करना चाहते है जो आपकी नज़र में सही किन्तु मुए नासमझ पुलिस वालों की समझ में गलत है तो मेरा ये ब्लॉग आपके लिए संकटमोचन साबित होगा.
१- कभी भी शाम के समय पकडे न जाएँ……मै तो कहूँगा की पकडे जाना ही क्यों है……सीधे कोर्ट में हाज़िर हो जाइये. फिर भी पकडे गए हैं तो पहले किसी ऐसे व्यक्ति को बुला लें जिसकी थाने में पकड़ हो…..थोडा बहुत ले दे कर धाराएँ कम करवाना या अपना केस किसी और पर डाल देना जायज है. इस मामले में पत्रकार बंधू ज्यादा उपयोगी साबित हुए हैं. शाम को परहेज रखने को इसलिए कहा है क्यों की सरकार हाथ की खुजली को मिटने का कोई बाम पुलिस को नहीं देती अतः पूरी सम्भावना है की ये खुजली आप पर जोर आजमाइश करके मिटाई जाएगी. दो चार हाथ तो नमस्कार की तरह होते हैं जो पड़ ही जाते हैं.
२-यदि आपका पैसा नहीं पहुच पाया है या की लगायी गयी धाराए इतनी बड़ी है की निचले कोर्ट से आपकी जमानत नहीं हो सकती…..या फिर आप जमानतदारों का इंतजाम नहीं कर सके और पेशेवर जमानतदारों को भी नहीं जानते तो आपका जेल जाना निश्चित है. जेल पहुचते ही बता दीजिये की आपकी मशक्कत कल सुबह कट जाएगी…और आपको अच्छे बैरक में रखा जाये.
३- यहाँ से विचाराधीन कैदी से ज्यादा उसके पैरोकारों का रोल आ जाता है. चालान होने के अगले ही दिन आपको ‘मिलायी’ करने जाना होता है. २ साल पहले ७५० रुपये दे कर मशक्कत कट जाती थी….मतलब कैदी से कोई काम नहीं लिया जायेगा……कैदी की पसंद का तेल साबुन कुछ कपडे इत्यादि ले जाना मत भूलें.
ये मशक्कत कटाने वाला रजिस्टर भी जादू से बनाया गया है. हमेशा सामने ही रहता है पर औचक निरीछण के समय कभी नहीं मिलता.
४-बैरकों की भी श्रेड़ियाँ हैं. उठना बैठना बराबर वालों में ही चाहिये……तो आपकी सुविधा के लिए बी पी एल कार्ड वाले बैरकों से ले कर वी वी आई पी बैरक उपलब्ध हैं. रेट जान कर निर्णय लें.
५-कैदी से सप्ताह में एक ही दिन मिला जा सकता है ऐसा नियम है…….५० रुपये का नोट प्रति बार देने पर ७ में से ६ दिन भी मिला जा सकता है.
६- मिलायी दो प्रकार की होती है जनरल और स्पेशल. जनरल में जहा आप दीवार के एक ओर और आपका कैदी दूसरी ओर भीड़ में खड़ा रहता है, स्पेशल में आप दोनों किसी एकांत जगह पर बैठ कर बातें कर सकते है.
७- जेल का खाना यदि आपको नहीं पसंद है तो कैंटीन की भी व्यवस्था रहती है….मेनू कार्ड से आप अपने नाश्ते से ले कर रात के खाने का आर्डर कर सकते हैं. बस रेट कुछ जयादा रहते हैं. आपके सारे शौक भी उसी कैंटीन से पूरे जायेंगे…गुटखा सिगरेट या पीने की भी व्यवस्था दाम + टैक्स दे कर उपयोग में लायी जा सकती है.
८- वैसे तो जेल में फोन की मनाही है किन्तु आपकी सेवा में जेल कर्मी पी सी ओ सेवा अपने मोबाईल से उपलब्ध करा सकते हैं. यदि सख्ती ज्यादा है और फोन सच में अन्दर नहीं जा पा रहा है तो बाहर आ कर वो आपका सन्देश खुद ही पहुचा देंगे.
९- सबसे जरूरी बात जेल में पैसे चोरी होते हैं अतः उनको सम्हाल कर रखें. अपने कपड़ो का ख्याल रखें. कोई दूसरा उसमे कुछ नशीली चीज़ छिपा सकता है जिसका की खामियाजा आपको ही भुगतना पड़ेगा. और अपने काम से काम रखें……दूसरे के फटे में टांग डालने का नतीजा कुछ दिन तक लंगड़ा के चलने जैसा हो सकता है.
मित्रों इस ब्लाग के लिए मै अपने एक अभिन्न मित्र एवं उनके पिता का आभारी हूँ….मित्र का इसलिए की उन्होंने चोरी की मोटर साइकिल खरीदी और उनके पिता का इसलिए की उनकी सामजिक अल्पज्ञता से मेरे मित्र का चालान हो गया. जेल में उनकी सेवा में जो भी कुछ उन्होंने हम पर हक जान कर हमसे करवाया या मंगवाया उससे इस ब्लॉग की उपज हुई है. भगवान् न करे की आपको इस ज्ञान की जरूरत पड़े पर यदि पड़ गयी तो वास्तव में आप भारतीय जेलों में व्याप्त भ्रस्टाचार को मन ही मन दुआएं देंगे.

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