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मेहारबान कदरदान आफ हिन्दुस्तान….
चुन्नू मुन्नू , भैया भाभी और पीछे खड़ा जवान…
सब को मेरा सलाम…..
कब तक रोज़ बस की लाइन में धक्के खाओगे
बीवी को नयी साडी के लिए कितना इंतज़ार कराओगे
आप के लिए बस आपके लिए ये इस्कीम लाया हूँ,
आज नहीं सुनोगे तो कल पछताओगे.
तो साहिबान एक लगाओ पांच ले जाओ दस लगाओ पचास ले जाओ,
सीधा सीधा खेल है बाबू न घोटाला न भ्रस्टाचार,
ज्यादा महीन अगर है बुद्धि तो ले जाओ सैकड़ो हज़ार.
आखिरी मौका है साहिब फ़ाइनल का गेम है,
रुपये तुम ले जाओ बाबू , टीम को चाहिये बस फेम है……..
तो बाबू लगाओ लगाओ…..चाहे जिस पर लगाओ
धोनी नहीं पसंद तो बाबू गंभीर पे लगाओ.
एक का पांच में भला नहीं है…..थोड़ी अकल लगाओ तो.
एक का पच्चीस दे दूंगा बाबू स्कोर अगर बताओ तो…
ऐसी बहुत सी स्कीम है बाबू पास बैठ कर सुन जाना….
मैच ख़तम होते पर बाबू तुम भी करोडपति बन जाना……
भाई लोगो को राम राम…..ये तुक बंदी तो बस ऐसे ही लिख दी सोचा अगर पुराना जमाना होता तो लोग आई पी एल पर सट्टा कैसे लगवाते. इस बार का आई पी एल मजेदार रहा…समाचार वाले भाइयों को खबर के लिए ज्यादा माथा पच्ची नहीं करनी पड़ी. विवाद भी खूब उठे……पर साहिब हमें उससे क्या….परिवार और नौकरी वाले लोग है. इन सब से टाइम मिले तो कुछ खेल का खेला भी देखते. पर फिर भी इतना तो पता है की आई पी एल ने भारत के सुपर हाई क्लास की सच्चाई सबके सामने खोल कर रख दी. मैच के बीच शराब…….बाद की पांच सितारा पार्टी , कभी कभी की रेव पार्टी , शराब शबाब और पैसा…………खेल तो बस बाहर का मुलम्मा है. पर एक बात कभी समझ में नहीं आई; की सारी टीम घाटे में फिर भी उनके मालिक; जो की व्यवसायी है; खेल से इतना प्रेम करते हैं की लगातार ५ सालों से घाटा सहे जा रहे है. ऐसा क्या है ? और अगर ऐसा कुछ है तो बाकि खेल क्यों नहीं इस तरह होते हैं? खैर ढोल में कुछ भी पोल हो हमें क्या ? उनका पैसा है चाहे जैसे इस्तेमाल करें और घाटा चाहे जहाँ से पूरा करें . मेरी परेशानिया तो ज्यादातर मेरे मोहल्ले से ले कर मेरे शहर तक ही रहती हैं.
एक शाम गली के नुक्कड़ पर कुछ नयी उम्र के लडको में झगडा हो रहा था , बुला कर पूछा तो देनदारी की बात थी पर रकम सुन कर होश उड़ गए, ग्रेजुएशन के दूसरे साल में पढने वाले की देनदारी बीस हजार? जहा तक मै लड़के को जानता था उसमे कोई व्यसन भी नहीं था तो फिर और कुरेदना पड़ा………..पता लगा की रकम सट्टे की थी. उसने किसी टीम पर सट्टा लिखाया था और हार गया अब पैसे किधर से दे? और अन्दर गया तो पता लगा की लगभग लगभग गली के सभी लड़के खेलते हैं और उनमे से एक बुकि का काम करता है……….आठ प्रतिशत मिलता है उसे……बड़े फक्र से बता रहा था अपनी लिमिट पचास हज़ार. और जाना तो लगा हर गली का ये ही हाल है………..अब फिर शहर का क्या होगा. कितनी रकम? अंग्रेजी की एक कहावत है the house always wins बाकी सभी हारते हैं . और जब किसी सट्टा किंग के पास इतना सारा पैसा आ जायेगा तो क्या वो मैच का रुख नहीं बदलने को चाहेगा किसी के घाटे को कम करके या उसे फायदा करवा कर ? तो फिर जो हम देख रहे है क्या वो सच में खेल है या फिर WWE की तरह इंटरटेनमेंट?
पर मेरी परेशानी ये है की इन नादान लडको का क्या? घर से पैसा मांग नहीं सकते क्योकि बताने की हिम्मत नहीं है और खुद के पास हैं नहीं, पैसे नहीं दिए तो गुंडे छोड़ने वाले नहीं, अब ये क्या किसी गलत रस्ते नहीं जाने वाले? मैंने जिन्दगी में अगर मायावती जी को कभी दिल से दुआ दी है तो तब जब की उन्होंने उत्तर प्रदेश में लाटरी बंद की थी, अब ये क्या है? तो मित्रों अगर आई पी एल मेरे मोहल्ले के लडको को अपराधी बना है फिर तो ऐसे खेल से मेरी तौबा. अच्छा है आज आखिरी मैच है.
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