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अँधेरे और चाँद की कश्मकश

मेरे मन के बुलबुले
मेरे मन के बुलबुले
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चार दिनों की जीत की कीमत ग्यारह दिन वनवास;
चाँद लिए लड़ता है तारों की बारात.

जीवन की परिभाषा, वेदों का है सार,
चाँद सिखाता धर्म विश्व को, मर कर कितनी बार.

तुम भी चुप मत रह जाना; कहीं देख कर अंधियारा,
जल जाना खुद दीपक बन कर, अमर रहेगा नाम तुम्हारा.

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